भारत में, महिलाओं की श्रम बाजार में भागीदारी अभी भी कम है। विश्व बैंक के अनुसार, भारत में महिलाओं की श्रम बाजार में भागीदारी दर सिर्फ 22.3% है
इस वर्ष का अर्थशास्त्र नोबेल पुरस्कार तीन अर्थशास्त्रियों को दिया गया है, जिन्होंने विवाह, पालन-पोषण और गर्भनिरोधक गोलियों के श्रम बाजार में महिलाओं की भूमिका पर प्रभाव की जांच की है। ये अर्थशास्त्री हैं:
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- एलन क्रूगर (येल विश्वविद्यालय)
- डेविड कार्ड (यूसी बर्कले)
- गुइडो डंबोलस (मासाचुसेट्स प्रौद्योगिकी संस्थान)
इन अर्थशास्त्रियों के शोध ने दिखाया है कि विवाह और पालन-पोषण से महिलाओं की श्रम बाजार में भागीदारी कम हो जाती है, जबकि गर्भनिरोधक गोलियों ने महिलाओं को श्रम बाजार में भाग लेने और उच्च शिक्षा प्राप्त करने में मदद की है।
उदाहरण के लिए, कार्ड और क्रूगर ने पाया कि न्यू जर्सी में न्यूनतम वेतन बढ़ने से मैकडॉनल्ड्स के रेस्तरां में किशोर लड़कियों के रोजगार में कमी आई, जबकि किशोर लड़कों के रोजगार में कोई बदलाव नहीं हुआ। इससे पता चलता है कि न्यूनतम वेतन वृद्धि ने किशोर लड़कियों को स्कूल में रहने और उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया।
डंबोलस ने पाया कि गर्भनिरोधक गोलियों की शुरूआत के बाद, महिलाओं की श्रम बाजार में भागीदारी बढ़ी और उच्च शिक्षा के प्रति उनका झुकाव बढ़ा। इससे पता चलता है कि गर्भनिरोधक गोलियों ने महिलाओं को श्रम बाजार में अधिक सक्रिय रूप से भाग लेने और उच्च शिक्षा प्राप्त करने की स्वतंत्रता दी।
इन अर्थशास्त्रियों के शोध ने श्रम बाजार में महिलाओं की भूमिका को समझने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनका शोध इस बात को समझने में मदद कर सकता है कि कैसे नीतियों को महिलाओं की श्रम बाजार में भागीदारी को बढ़ावा देने और लैंगिक वेतन अंतर को कम करने के लिए डिज़ाइन किया जा सकता है।
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भारत में इसका क्या अर्थ है?
महिलाओं (भारत) की श्रम बाजार में भागीदारी अभी भी कम है। विश्व बैंक के अनुसार, भारत में महिलाओं की श्रम बाजार में भागीदारी दर सिर्फ 22.3% है, जो पुरुषों की श्रम बाजार में भागीदारी दर 74.8% से काफी कम है।
भारत में महिलाओं की श्रम बाजार में भागीदारी को बढ़ाने के लिए कई कारक जिम्मेदार हैं, जिनमें शामिल हैं:
- सांस्कृतिक बाधाएं
- पारिवारिक जिम्मेदारियां
- शिक्षा का निम्न स्तर
- कौशल का अभाव
- असुरक्षित कार्यस्थल
भारत सरकार महिलाओं की श्रम बाजार में भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए कई पहल कर रही है। इन पहलों में शामिल हैं:
- कौशल विकास कार्यक्रम
- उद्यमिता कार्यक्रम
- कार्यस्थल पर महिलाओं के लिए सुरक्षा के उपाय
आर्थिक नोबेल पुरस्कार 2023 के विजेताओं के शोध से भारत में नीति निर्माताओं को यह समझने में मदद मिल सकती है कि महिलाओं की श्रम बाजार में भागीदारी को कैसे बढ़ावा दिया जाए। यह शोध इस बात को समझने में भी मदद कर सकता है कि कैसे लैंगिक वेतन अंतर को कम किया जाए और कार्यस्थल पर महिलाओं के लिए अधिक समान अवसर सुनिश्चित किए जा सकें।
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