अदालत ने कहा कि सोशल मीडिया पर हिंसा और नफरत फैलाने वाले पोस्ट को रोकने के लिए यह जरूरी है
कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंगलवार को सरकार को सुझाव दिया कि वह सोशल मीडिया के उपयोग के लिए एक आयु सीमा निर्धारित करे। अदालत ने कहा कि सोशल मीडिया पर हिंसा और नफरत फैलाने वाले पोस्ट को रोकने के लिए यह जरूरी है।
न्यायमूर्ति जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति विजयकुमार ए पाटिल की खंडपीठ ने एक मामले की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। इस मामले में एक ट्वीट को लेकर ट्विटर के खिलाफ याचिका दायर की गई थी।
कहा कि सोशल मीडिया पर हिंसा और नफरत फैलाने वाले पोस्ट को रोकने के लिए यह जरूरी है कि सोशल मीडिया के उपयोग के लिए एक आयु सीमा निर्धारित की जाए। अदालत ने कहा कि इसी तरह शराब पीने के लिए भी एक आयु सीमा निर्धारित की गई है।
अदालत ने सरकार से कहा कि वह इस मामले पर विचार करे और एक उपयुक्त निर्णय ले।
अदालत की इस टिप्पणी के बाद सोशल मीडिया पर चर्चा हो रही है। कुछ लोग इस टिप्पणी का समर्थन कर रहे हैं, जबकि कुछ लोग इसका विरोध कर रहे हैं।
समर्थन करने वालों का कहना है कि सोशल मीडिया पर बच्चों को हिंसा और नफरत फैलाने वाले पोस्ट से दूर रखना जरूरी है। उनका कहना है कि सोशल मीडिया के उपयोग के लिए एक आयु सीमा निर्धारित करने से बच्चों को इन पोस्ट से बचाया जा सकेगा।
विरोध करने वालों का कहना है कि सोशल मीडिया एक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मंच है और इस पर किसी तरह की सीमा नहीं लगाई जानी चाहिए। उनका कहना है कि सोशल मीडिया के उपयोग के लिए एक आयु सीमा निर्धारित करने से लोगों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगेगा।
यह देखना होगा कि सरकार अदालत की इस टिप्पणी पर क्या कार्रवाई करती है।
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