यह कहानी भारतीय खुफिया एजेंसी, रॉ या आर (Research and Analysis Wing – RAW) के जासूस रवींद्र कौशिक के जीवन के बारे में है, जिन्हें ‘द ब्लैक टाइगर’ के नाम से भी जाना जाता है।
यह कहानी भारतीय खुफिया एजेंसी, रॉ या आर (Research and Analysis Wing – RAW) के जासूस रवींद्र कौशिक के जीवन के बारे में है, जिन्हें ‘द ब्लैक टाइगर’ के नाम से भी जाना जाता है। रवींद्र कौशिक एक ऐसे जवान थे जिन्होंने अपने देश के लिए अपने जीवन की कई वर्षों की बलिदान देकर एक अद्वितीय कार्यदीप्ति के रूप में कार्य किया। इसका कहानी में भारतीय खुफिया एजेंसी के गुप्त ऑपरेशन्स और जासूसी कार्यों के पीछे की राज़ और उनके जीवन के संघर्ष का बड़ा हिस्सा है।
रवींद्र कौशिक का जन्म 11 अप्रैल 1952 को हुआ था, और वे भारत के दिल्ली में रहते थे। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा और कॉलेज की पढ़ाई भारत में की थी, और उनके प्रारंभिक जीवन का कोई ख़ास इंचिंग नहीं था।
हालांकि, 1975 में, रवींद्र कौशिक का जीवन एक नई मोड़ पर बदल गया। उन्होंने एक स्पाई बनने का प्रस्ताव दिया और भारतीय सरकार की खुफिया एजेंसी RAW के लिए काम करने का निर्णय लिया। उन्हें पाकिस्तान के खिलाफ जासूसी मिशन पर भेजा गया, और वे पाकिस्तान में गहरी छापामार बन गए।
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रवींद्र कौशिक ने अपना नाम बदलकर नावाब मोहम्मद आहमद शाह खां के नाम से जाने जाते हुए वहां की सामाजिक और आर्थिक जीवन में समाहित हो जाते हैं। वह पाकिस्तान में एक बड़े उद्योगपति के बेटे की भूमिका में रहकर अपने जासूसी कार्य को पूरा करते रहे।
रवींद्र कौशिक ने भारतीय सरकार के लिए महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी को पाकिस्तान सरकार और सेना को प्रदान की, जिससे भारत के खिलाफ साजिशों को नाकाम किया जा सका।
लेकिन अपने कार्यकाल के दौरान, रवींद्र कौशिक को पकड़ने की कोशिशें बढ़ गईं, और उन्हें पाकिस्तान की जेल में जब्त किया गया। वहां उन्होंने अपनी आखिरी दिनों को बीताया, और 2001 में उनकी मौत हो गई।