पत्रकारों के मोबाइल फोन और लैपटॉप ज़ब्त करने की घटनाओं से निजता से जुड़ी चिंताएं बढ़ गई हैं।
हाल ही में, दिल्ली पुलिस ने कथित रूप से देशद्रोह के मामले में न्यूज़क्लिक के पत्रकारों के घरों पर छापेमारी की और उनके मोबाइल फोन, लैपटॉप और अन्य डिजिटल उपकरण जब्त कर लिए। इस घटना ने पत्रकारों के बीच निजता के अधिकार को लेकर चिंता पैदा कर दी है।
निजता के अधिकार का उल्लंघन
पत्रकारों के मोबाइल फोन और लैपटॉप में अक्सर उनके काम से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी होती है, जिसमें संवेदनशील दस्तावेज, व्यक्तिगत संचार और अन्य डेटा शामिल हो सकते हैं। इन उपकरणों को जब्त करना पत्रकारों के निजता के अधिकार का उल्लंघन है।
कानूनी चुनौतियां
भारतीय कानून में पत्रकारों के निजता के अधिकार को लेकर स्पष्ट प्रावधान नहीं हैं। हालांकि, संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया है, जिसका अर्थ है कि पत्रकारों को अपने काम के लिए आवश्यक जानकारी एकत्र करने और साझा करने का अधिकार है।
अंतर्राष्ट्रीय कानून
अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत पत्रकारों को निजता के अधिकार का भी अधिकार है। संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकारों पर विश्व सम्मेलन के अनुच्छेद 12 में कहा गया है कि हर कोई निजता के अधिकार का हकदार है।
अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की आलोचना
न्यूज़क्लिक मामले पर अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने भी चिंता व्यक्त की है। इंटरनेशनल प्रेस इंस्टीट्यूट ने कहा कि इस घटना से पत्रकारों के काम करने की क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
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निष्कर्ष
न्यूज़क्लिक मामले ने पत्रकारों के निजता के अधिकार को लेकर चिंता पैदा कर दी है। इस मामले से यह सवाल उठता है कि क्या भारतीय कानून पत्रकारों के निजता के अधिकार की रक्षा करने के लिए पर्याप्त है। सरकार को इस मामले पर जल्द से जल्द कार्रवाई करनी चाहिए और पत्रकारों के निजता के अधिकार की रक्षा के लिए कानून में आवश्यक बदलाव करने चाहिए।
यहां कुछ विशिष्ट चिंताएं दी गई हैं जो पत्रकारों के मोबाइल फोन और लैपटॉप जब्त करने से उत्पन्न होती हैं:
- पत्रकारों को अपने काम के लिए आवश्यक जानकारी तक पहुंचने से रोका जा सकता है।
- पत्रकारों की गोपनीयता का उल्लंघन हो सकता है।
- पत्रकारों को डराने और धमकाने के लिए इन उपकरणों का उपयोग किया जा सकता है।
इन चिंताओं को दूर करने के लिए, सरकार को निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:
- पत्रकारों के निजता के अधिकारों की रक्षा के लिए कानून में आवश्यक बदलाव किए जाने चाहिए।
- पत्रकारों के मोबाइल फोन और लैपटॉप जब्त करने के लिए स्पष्ट प्रक्रियाएं निर्धारित की जानी चाहिए।
- पत्रकारों के निजता के अधिकारों का उल्लंघन करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।
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