33 सालों से ज़्यादा समय से कार्यरत मयूर समूह की रियल एस्टेट, बुनियादी ढांचे और वनस्पति तेल, खाद्य पदार्थों और पैकेजिंग के विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भागीदारी है।
मयूर ग्रुप, जो कि कानपुर में स्थित एक महत्वपूर्ण व्यापारिक ग्रुप है, आयकर विभाग द्वारा एक व्यापक, बहु-दिवसीय जाँच का अभियान चलाया गया है। जैसे ही छापेमारी चौथे दिन में प्रवेश कर रही है, यह संभावित कर चोरी और वित्तीय अनियमितताओं को प्रकाशित करने पर केंद्रित पड़ताल की जटिलता और पैमाने को रेखांकित करता है।
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विभिन्न स्थानों पर फैला ऑपरेशन
यह ऑपरेशन मुंबई, सूरत, कोलकाता, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और दिल्ली सहित निम्न स्थानों पर चलाया गया है। छापे के शुरु के दिन, जांचकर्ताओं को समूह के मालिक, मनोज गुप्ता के कानपुर आवास में एक बड़े दर्पण के पीछे एक छिपे हुए कमरे में 3 करोड़ रुपये की नकद राशि और सोना मिला। समूह पर एक अस्तित्वहीन कंपनी से 25 करोड़ रुपये का ऋण दिखाने और कोलकाता और मुंबई में शेल कंपनियों से ऋण लेने का शक है। इसके अतिरिक्त, गैर-मौजूद कंपनियों से रिपोर्ट की गई फर्जी खरीदारी काले धन को सफेद करने के संभावित प्रयत्न का संकेत देती है।
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आयकर विभाग की सतर्कता और उसके असर
चल रही जांच कर चोरी से निपटने और कर प्रणाली की अखंडता को बनाए रखने पर आयकर विभाग के निरंतर ध्यान को दर्शाती है। इसके बाद के परिणाम कर कानूनों के अनुपालन के अहमियत को रेखांकित करेंगे और संभावित रूप से अन्य व्यवसायों की प्रथाओं को प्रभावित करेंगे।
मयूर समूह के व्यावसायिक उद्यम और कथित उल्लंघन
33 सालों से ज़्यादा समय से कार्यरत मयूर समूह की रियल एस्टेट, बुनियादी ढांचे और वनस्पति तेल, खाद्य पदार्थों और पैकेजिंग के विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भागीदारी है। कर डिपार्टमेंट को यह भी संदेह है कि समूह सीमा शुल्क से बचने के लिए दक्षिण एशियाई खुला व्यापार क्षेत्र (एसएएफटीए) समझौते का विरोध कर रहा था और अपने काले धन को रियल एस्टेट में निवेश कर रहा था।
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