रामसेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राम सेतु प्राकृतिक है या मानव निर्मित संरचना है, यह वैज्ञानिक बहस का विषय है। अदालत ने यह भी कहा कि राम सेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया जाए या नहीं, यह नीतिगत फैसला है, जो सरकार को लेना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राम सेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि वह यह तय करने के लिए सही मंच नहीं है कि राम सेतु प्राकृतिक है या मानव निर्मित संरचना है।

याचिका हिंदू संगठनों के एक समूह द्वारा दायर की गई थी, जिन्होंने तर्क दिया कि राम सेतु भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत है और इसे राष्ट्रीय स्मारक के रूप में संरक्षित किया जाना चाहिए। संगठनों ने यह भी तर्क दिया कि राम सेतु एक प्राकृतिक संरचना है और इसे क्षतिग्रस्त या नष्ट नहीं किया जाना चाहिए।

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राम सेतु प्राकृतिक है या मानव निर्मित संरचना है, यह वैज्ञानिक बहस का विषय है। अदालत ने यह भी कहा कि राम सेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया जाए या नहीं, यह नीतिगत फैसला है, जो सरकार को लेना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला हिंदू संगठनों के लिए एक बड़ा झटका है, जो कई वर्षों से राम सेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की मांग कर रहे हैं। संगठनों ने तर्क दिया है कि राम सेतु हिंदुओं के लिए एक पवित्र स्थल है और इसे किसी भी तरह की क्षति से बचाया जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सेतुसमुद्रम शिपिंग नहर परियोजना के निर्माण पर भी प्रभाव पड़ने की संभावना है। 2005 में शुरू की गई इस परियोजना का उद्देश्य पल्क जलडमरूमध्य के माध्यम से एक शिपिंग नहर बनाना है, जो बंगाल की खाड़ी को अरब सागर से जोड़ेगी। हालांकि, परियोजना पर्यावरण संबंधी चिंताओं और इस तथ्य के कारण विवादास्पद रही है कि इसके लिए राम सेतु के एक हिस्से को नष्ट करने की आवश्यकता होगी।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सेतुसमुद्रम शिपिंग नहर परियोजना अनिश्चित काल के लिए ठप होने की संभावना है। सरकार ने अभी तक परियोजना के लिए कोई नई योजना की घोषणा नहीं की है।

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