बिहार में जातीय गणना का नतीजा नीतीश कुमार की सरकार ने जारी कर दिया है। अब जाति आधारित सर्वेक्षण की रिपोर्ट मुख्यमंत्री सर्वदलीय बैठक में सभी पार्टियों के नेताओं के साथ साझा करेंगे।
बिहार सरकार ने जाति आधारित सर्वेक्षण यानी जातीय गणणा की रिपोर्ट जारी कर दी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार रिपोर्ट को सभी पार्टियों के नेताओं के साथ सर्वदलीय बैठक में साझा करेंगे। जाति आधारित आंकड़ों के सामने आने के बाद सीएम नीतीश कुमार, आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव समेत अन्य नेताओं ने पूरे देश में जातीय गणना (Caste Census) की मांग कर दी है। नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने कहा है कि इन आंकड़ों से सरकार को अपनी विकास योजनाओं को बनाने में बहुत मदद मिलेगी। सरकार को इस सर्वे से पता चल गया है कि किस जाति की सामाजिक या आर्थिक स्थिति क्या है और किसकी बेहतरी के लिए काम करने की जरूरत है। तेजस्वी यादव ने रिपोर्ट के आधार पर सामाजिक न्याय के साथ आर्थिक न्याय का रास्ता खुलने की बात कही है।
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रिपोर्ट की मुख्य बातों पर गौर करें तो सर्वे में शामिल 13 करोड़ 7 लाख 25 हजार 310 लोगों में 82 परसेंट हिन्दू हैं जबकि 17.70 परसेंट लोग मुसलमान हैं। बाकी धर्म की आबादी बिहार में एक परसेंट से भी कम है। जाति समूह के हिसाब से देखें तो अति पिछड़ा वर्ग की 112 जातियों की आबादी 4.70 करोड़ से ज्यादा हैं और आबादी में इनकी हिस्सेदारी 36.01 प्रतिशत है। दूसरे नंबर पर पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) है जिसकी 30 जातियां की संख्या 3.54 करोड़ से ज्यादा है और आबादी में हिस्सेदारी 27.12 परसेंट है।
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तीसरे नंबर पर अनुसूचित जाति (एससी) हैं जिनकी 22 जातियों की आबादी 2.56 करोड़ से ऊपर है और आबादी में हिस्सेदारी 19.65 परसेंट है। चौथे नंबर पर अगड़ी जातियां यानी सवर्ण हैं जिनकी आबादी 2.02 करोड़ से ऊपर है जबकि आबादी में हिस्सेदारी 15.52 परसेंट है। सवर्णों यानी अनारक्षित समूह में सरकार ने ब्राह्मण, राजपूत, भूमिहार, कायस्थ और तीन मुस्लिम जातियों को रखा है। पांचवा अनुसूचित जनजाति यानी (एसटी) है जिनकी 32 उप-जातियों की आबादी 21.99 लाख और हिस्सेदारी 1.68 प्रतिशत है। पिछड़ी जातियों में यादव 14.26 परसेंट, कुशवाहा 4.27 परसेंट, कुर्मी 2.87 परसेंट और धानुक 2.13 प्रतिशत हैं।
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