क्या जम्मू-कश्मीर का भविष्य पुनः स्थायी हो सकता है?

अनुच्छेद 370 को खत्म करने के विरुद्ध आज सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाना है।  अनुच्छेद 370 को खत्म करने के खिलाफ दायर किया गया आवेदन पर आज सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुनाएगी । अगर हम बात करें तो  2019 में इसके खिलाफ 18  याचिकाएं दी गयी हैं जिनपर 16  दिन सुनवाई होती रही और कोर्ट ने पांच दिसंबर को अपने पास फैसला सुरक्षित रख लिया था।

सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ  अनुच्छेद 370 को खत्म करने और पूर्ववर्ती जम्मू कश्मीर राज्यों को 2  राज्यों में विभाजित करने वाली याचिकाओं की सुनवाई कोर्ट सोमवार को अपना फैसला सुनाएगी ।  चीफ जस्टिस ऑफ़ इंड़िया डीवाई चंद्रचूड़ , जस्टिस संजय किशन कौल, संजीव खाना सहित कुल पांच ननयधीशो की संविधान पीठ अपना आज फैसला सुनाएगी। 

केंद्र ने किया 370 को ख़त्म करने के फैसले का बचाव

केंद्र सरकार ने कहा की अनुच्छेद 370 को खत्म के फैसले के बचाव मेंकहा की इसमें जम्मू कश्मीर को २खास दर्जा देने वाले  प्रावधान को खत्म करने के लिए    किसी भी प्रकार की कोई धोखादड़ी नहीं हुई है।  केंद्र की तरफ से अटार्नी जर्नल वेंकटरमणी और सोलिस्टर जर्नल तुषार मेहता भी शामिल हुए उन्होंने बताया की जम्मू कश्मीर अकेला ऐसा राज्य नहीं था जो भारत में दस्तावेज के माध्यम से हुआ है बल्कि 1947 में आजादी के समय से शर्तो सहित शामिल कर लिया। बहाल 

जम्मू कश्मीर की स्थिति अभी तक अस्थायी है  पर लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश ही बना रहेगा।  वरिष्ठ वकील कपिल सिव्वळ ने ये कहा की अनुच्छेद 370 कोई अब अस्थाई     प्रावधान नहीं रहा है बल्कि जम्मू कश्मीर के संविधान सभा के विघटन के बाद इसे स्थायित्व मिल गया है। 

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राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस संसद ने कहा की फैसला जो भी होगा हम उम्मीद करते हैं जम्मू कश्मीर के हित में ही होगा क्योंकि इसका असर सिर्फ जम्मू कश्मीर पर नहीं बल्कि पुरे देश पर रहेगा हम चाहते हैं की शांति बनी रहे 

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