अयोध्या में बने भव्य राममंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा जनवरी 22 आने वाले साल में पीएम नरेंद्र मोदी करेंगे।मूर्ति का प्रतिष्ठा का महूर्त 22 जनवरी को दोपहर के 12 बजकर 29 मिंट आठ सेकंड पर होगा, चलिए आपको बताते हैं की त्रेता युग में भगवान राम और रावण के युद्ध के दौरान जब लक्समन जी को चोट लगी थी तो हनुमान जी संजीवनी वूटी लेकर आर्यावर्त का शोक खत्म कर सनातनियो को उल्लास से भर दिया था। आपको बता दें यह पांच सौ साल बाद हो रहा है की इस आधुनिक भारत में राम मंदिर में भगवान राम की मूर्ति की स्थापना होने जा रही है जो कि भारत के लिए गर्व कि बात है। अब जाकर सनातनियो का दुःख दूर हुआ है इसके लिए कशी के द्रविड़ बंधू हनुमान बन गए हैं।
पंडित गणेष्वर शास्त्री द्रविड़ और विश्वेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने राममला कि प्रितष्ठा के लिए एक संजीवनी महूरत भी निकाला है रामघाट में स्थित वल्ल्भराव शालिग्राम सांगवेद पाठशाला के द्रविड़ बंधुओं ने 22 जनवरी का जो महूर्त निकाला है उसे महाकवि तुलसीदास ने अपनी कृति पूर्वकलामृत में संजीवनी महूर्त का नाम दिया है। इस शुभ घड़ी में देश के पवित्र स्थलों , तीर्थो से जल भर कर रामलला का अभिषेक किया जाएगा और कशी के कई तीर्थो से जल को गए के सींग से बनी शृंगी से भरकर अभिषेक होगा।
ये सुन कर आपको बहुत ख़ुशी होगी कि प्राण प्रतिष्ठा के लिए क्या क्या इंतजाम किये गए हैं अथवा कैसे कैसे किया जाएगा , तो इसके लिए सबसे पहले वेदिको कि सलाह से नौ मंडप लगाए जाएंगे , इन सभी मंडपों में नौ प्रकार का हवन कुंड लगाए जाएंगे। और इन मंडपों का अनुष्ठान करने वाले पंडित होंगे मुख्य आचार्य पं. लक्ष्मीकांत दीक्षित के निर्देश पर उनके पुत्र पं. अरुण दीक्षित जो कि अयोध्या के लिए जल्द ही प्रस्थान करेंगे
क्या होंगी कुंडो कि आकृतियां और कितनी होंगी समिधाये
इन नौ कुंडो आकृतियां चतुष्कोणीय, पद्मकारा, अर्द्धचंद्र, त्रिकोण, वृत्ताकार, योनिकार, षटकोणीय, अष्टकोणीय होती हैं इसके साथ ही कशी से वैदिक नौ समाधिया भी ले जायेंगे हर एक कुंड में एक समिधा से हवन होगा , इनके नाम इस प्रकार से होंगे समिधाओं में पलाश, खैर, अर्क, गूलर, पीपल, पाकड़, शमी, कुशा, दुर्वा हैं और अनुष्ठान के लिए प्रयोग में लाये जाने वाले कसाय को अलग अलग वनस्पतियो कि आवश्यकता है जैसे मूल और पत्तियों का भी काशी में संग्रह हो रहा है। इसे तैयार करने के लिए 51 प्रकार की औषधियां गोला दीनानाथ से लायी जाएंगी इस अनुष्ठान में 121 वैदिक शामिल होंगे इसमें लगब्भग 51 वैदिक कशी होंगे जिनके द्वारा चारो वेदो के मूल शाखाओ के परायण करेंगे।
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अयोध्या के श्रीराम मंदिर के अनुष्ठान के लिए निकला गया कशी में महूर्त पुरे देश के लिए गुरुत्व को बल मिलेगा। आपको बता दें कि मेष लगन के गुरु के कुंडली के केंद्र में होने से इसका प्रवाभ सभी घरो में पडेगा इस वक्त कल सर्प दोष कि स्थिति भी नहीं बन रही है अब सूर्य मकर राशि में जिससे पौषमास का दोष भी समाप्त हो चूका है जब महूर्त होगा तो मेष लग्न से बारहवें स्थान पर राहु, नवम पर मंगल तथा दसवे पर सूर्य होंगे